गरुड़ पुराण के अनुसार शिवरात्रि से एक दिन पूर्व त्रयोदशी तिथि में शिव जी की पूजा करनी चाहिए और व्रत का संकल्प लेना चाहिए। इसके उपरांत चतुर्दशी तिथि को निराहार रहना चाहिए। महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव को जल चढ़ाने से विशेष पुण्य प्राप्त होता है।
- शिवरात्रि के दिन भगवान शिव की मूर्ति या शिवलिंग को पंचामृत से स्नान कराकर “ऊं नमो नम: शिवाय” मंत्र से पूजा करनी चाहिए।
- व्रती दिनभर शिव मंत्र (ऊं नम: शिवाय) का जाप करें तथा पूरा दिन निराहार रहें। (रोगी, अशक्त और वृद्ध दिन में फलाहार लेकर रात्रि पूजा कर सकते हैं।)
- शिवपुराण में रात्रि के चारों प्रहर में शिव पूजा का विधान है। शाम को स्नान करके किसी शिव मंदिर में जाकर अथवा घर पर ही पूर्व या उत्तर दिशा की ओर मुंह करके त्रिपुंड एवं रुद्राक्ष धारण करके पूजा का संकल्प इस प्रकार लें –
“ममाखिलपापक्षयपूर्वकसलाभीष्टसिद्धये शिवप्रीत्यर्थं च शिवपूजनमहं करिष्ये”
- गाय का दुध शिवलिंग में अर्पित करे।
- शिवलिंग के सामने सफेद आसन में बैठ कर चंद्र मंत्र का जाप 108 बार कीजिये ।
- शिव पूजन के साथ भोग भी लगाए।
- अगले दिन प्रात: काल ब्राह्मणों को दान-दक्षिणा देकर व्रत का पारण करना चाहिए।
Art of living के अनुसार शिवरात्रि ध्यान और जप के लिए उत्तम है
शिवरात्रि – ध्यान के लिए दिवस
शिवरात्रि आध्यात्मिक साधक के लिए नववर्ष की भांति है। यह आध्यात्मिक एवं भौतिक उन्नति के लिए एक अति शुभ दिवस है। इस रात्रि नक्षत्र व् तारागण की स्थिति ध्यान के लिए अति शुभ होती है। अतः साधक को जागृत रहकर ध्यान करना चाहिए। प्राचीन काल में कहा जाता था, कि अगर आप प्रतिदिन ध्यान नहीं कर सकते तो, कम से कम शिवरात्रि को जागृत रहकर ध्यान करिए।
ईश्वर आपके भीतर ही है – उसे जागृत करें – यही शिवरात्रि का सन्देश है।
शिवरात्रि – जप के लिए एक उत्तम दिवस
शिवरात्रि को रुद्राभिषेक किया जाता है। वैदिक मन्त्रों के उच्चारण के साथ दूध, दही, शहद, गुलाबजल शिव लिंग पर चढ़ाया जाता है। जब वैदिक मंत्रो का उच्चारण होता है, तब यह मंत्र वातावरण में बड़ा परिवर्तन लाते हैं। सकारात्मकता बढ़ जाती है और बुरे कर्म नष्ट हो जाते हैं – पर्यावरण में उल्लास छा जाता है। इसीलिए सदियों से सबकी भलाई के लिए रुद्राभिषेक किया जाता है। “समय पर वर्षा हो, अच्छी फ़सल हो, सभी स्वस्थ, ज्ञानी, धनी व उदार हों “- इन्हीं प्रार्थनाओं के साथ रुद्राभिषेक किया जाता है। मानव का ईश्वर के साथ प्रगाढ़ सम्बन्ध स्थापित करने के लिए रुद्राभिषेक किया जाता है।
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