वो रात भर ना सोई होगी, कई रात आँसू बहाए होंगे
सुने बिस्तर पर बार बार , हाथ उसने फेरा होगा
जिस किसीने भी सीमा पर कोई , अपना खोया होगा
खोखले अहम की जंग में, किसीने अपना सिंदुर पोछां होगा
राखी पकड़ के कोई बेहना , जोर से चिलाई होगी
अपनो की आँख में, सेलाब सा उतर आया होगा
दोस्तों ने भी कई रात , जोरो से भरी सिसकिया होंगी
शहीदो के जाने के बाद, ऐसा केहर उनके अपनो में आया होगा
बेहनो ने खो दिया भाई , माओ ने खो दिया बेटा
सुनी हुई माँग किसीकी, लिपत के रोया किसी का पिता
पुरे देश का दिल गम गीन हुआ, युध के बाद आलम कुछ ऐसा हुआ
कहने को शहीद हुए 18 जवान , ग़ोर से देखा 18 परिवार नजर आए
एक लकीर की अहमियत कई जानो से ज्यादा नजर आई
आज सच में दिल से आह निकल आई
ना जाने क्या पाया किसी ने, लगता बस खोया – खोया ही है
इस तेरे मेरे की जंग में दिल रोया बस रोया ही है
That’s a nicely made answer to a challenging question